Rashtriya krishi vikas yojana 2024-25 राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

Rashtriya krishi vikas yojana 2024-25 उत्तर प्रदेश की समृद्ध जैवविकाशविविधता एवं कृषि जलवायु परिस्थितियां विभिन्न प्रकार की औद्यानिक फसलों के उत्पादन हेतु सर्वथा उपयुक्त है। प्रदेश में औद्यानिक फसलों तथा -फल, शाकभाजी, मसाले, आलू, पुष्प, औषधीय एवं सुगंधित पौधे आदि के अन्तर्गत व्यापक क्षेत्र है। इन फसलों का प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक आय प्राप्त करने, पोषण सुरक्षा प्रदान करने,वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति, विदेशी मुद्रा के अर्जन के लिए  अन्ततः प्रदेश के लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक उन्नयन में विशेष महत्व है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना प्रदेश में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एन.एच.एम.) से अनाच्छादित 30 जनपदों में मिशन पैटर्न पर संचालित की जा रही है। योजना के अन्तर्गत भारत सरकार 70% प्रतिशत एवं राज्य सरकार 50 %प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करती है। और कृषि विकास के लिए Rashtriya krishi vikas yojana  का संचालन किया जा रहा है ।

Rashtriya krishi vikas yojana
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Rashtriya krishi vikas yojana का लाभ

  • प्रजनक बीजों के उत्पादन; आईसीएआर, सार्वजनिक क्षेत्र बीज निगमों से प्रजनक बीजों की खरीद;
  • प्रमाणित बीजों का उत्पादन; बीज उपचार; प्रदर्शन स्थलों पर किसान फील्ड स्कूल; किसानों को प्रशिक्षण आदि के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है
  • योजना क्रियान्वयन के फलस्वरूप निम्नवत लाभ प्राप्त होंगे।
  • प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण सुरक्षा प्राप्त होना।
  • पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जनमानस में जागरूकता पैदा करना।
  • गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन में वृद्धि।
  • अनुत्पादक बागों में कैनोपी मैनेजमेंट/जीर्णोद्धार के फलस्वरूप उत्पादन क्षमता में वृद्धि।
  • अन्य फसलों जैसे गन्ना, कपास तथा अन्य फसल/ प्रजातियां जो राज्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, के विकास के लिए इसी प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • मुख्य खाद्य फसलों जैसे गेहूँ,धान,मोटे अनाज,छोटे कदन्न,दलहन तथा तिलहन का समेकित विकास: किसानों को प्रमाणित/ एचवाईवी बीजों की उपलब्धता।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उप-योजनाएँ

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कार्यान्वित की गई कुछ महत्वपूर्ण उप-योजनाओं को बेहतर समझ के लिए नीचे दी गई तालिका में समझाया गया है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उप-योजनाएँ
उप-योजना मंत्रालय उद्देश्य
त्वरित चारा विकास कार्यक्रम (एएफडीपी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • चारा उत्पादन बढ़ाने के लिए एकीकृत प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना।
  • इससे वर्ष भर चारे की उपलब्धता बढ़ती है।
राष्ट्रीय केसर मिशन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • केसर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2010 में शुरू किया गया।
  • केसर उत्पादकों की पीड़ा के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • सी.डी.पी. का क्रियान्वयन मूल हरित क्रांति वाले राज्यों में किया गया है।
  • तम्बाकू उत्पादकों को वैकल्पिक फसल प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
समस्याग्रस्त मृदा का सुधार (आरपीएस) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • समस्याग्रस्त मिट्टी को पुनः प्राप्त करना।
  • मृदा परीक्षण आधारित उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग द्वारा मृदा उर्वरता और उत्पादकता में सुधार करना।
  • लवण सहनशील फसल प्रणालियों को अपनाकर फसल की पैदावार बढ़ाना।
पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाना (बीजीआरईआई) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • पूर्वी भारत में “चावल आधारित फसल प्रणालियों” की उत्पादकता को सीमित करने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए 2010-11 में बीजीआरईआई की शुरुआत की गई थी।
विदर्भ गहन सिंचाई विकास कार्यक्रम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • विदर्भ क्षेत्र में वर्षा आधारित कपास की खेती की उत्पादकता बढ़ाना।
  • अधिकतम कपास उत्पादन क्षेत्र को सुरक्षात्मक सिंचाई और बेहतर मृदा नमी व्यवस्था के अंतर्गत लाना।
  • जल उठाने वाले उपकरणों के प्रावधान के माध्यम से मौजूदा लघु/लघु सिंचाई संसाधनों को बढ़ाना।
  • ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना।
वर्षा आधारित क्षेत्रों में 60,000 दलहन गांवों का एकीकृत विकास। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • इसे केन्द्रीय बजट 2011-12 में पेश किया गया था।
  • यह फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए वर्षा आधारित क्षेत्रों में 60,000 दलहन गांवों को बढ़ावा देता है।
भारत में पाम ऑयल को बढ़ावा देने की योजना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • क्षेत्र विस्तार दृष्टिकोण के माध्यम से अतिरिक्त 1.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पाम ऑयल की खेती के अंतर्गत लाना।
सब्जी क्लस्टरों पर पहल कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
  • इस योजना का उद्देश्य सब्जी क्षेत्र की मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों से संबंधित सभी चिंताओं का समाधान करना है।
  • सब्जी किसानों को पोषण सुरक्षा में सुधार और आय सहायता प्रदान करना।
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